
प्राणायाम से फेफड़ों की सफाई होती है। ज्यादातर लोग गहरी सांस नहीं लेते हैं। इससे उनके फेफड़े नहीं खुलते हैं। फेफड़े करीब 7.5 करोड़ कोशिकाओं से बने होते हैं। सामान्य रूप से सांस लेने पर मात्र दो करोड़ छिद्रों तक ही ऑक्सीजन पहुंचती है, जबकि 5.5 करोड़ छिद्र बेकार होने लगते हैं जिससे एलर्जी और फेफड़ों की बीमारियां होती हैं।
तीन चरणों में करें प्राणायाम
एलर्जी और फेफड़ों की बीमारी से बचने के लिए तीन चरणों में प्राणायाम करें। सबसे पहले कपालभाति, फिर नाड़ी शोधन और इसके बाद भस्त्रिका प्राणायाम करें। कपालभाति फेफड़ों की सफाई के साथ पेट-पाचन को ठीक रखता है। पेट पर जमे फैट को कम करता है। नाड़ी शोधन प्राणायाम जीवन शक्ति के संचार का काम करता है। यह खून को शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाने वाली नाड़ी का शोधन करता है। आलस, थकान और उदासी आदि दूर होगी और आप ऊर्जावान महसूस करेंगे। वहीं भस्त्रिका प्राणायाम खून की सफाई कर शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाता है। इससे खून से एसिड की मात्रा कम होती है। असल में यह एसिड शरीर की इम्युनिटी को कम करता है।
कोई भी प्राणायाम 10-15 मिनट करेंकुछ लोग एक प्राणायाम को 2-3 मिनट करने के बाद दूसरा शुरू कर देते हैं। यह सही नहीं है। इससे लाभ नहीं मिलता है। कोई भी प्राणायाम कम से 10-15 मिनट तक करें। अगर आप प्राणायाम की शुरुआत कर रहे हैं तो शुरू में 3-4 मिनट तक कर सकते हैं। धीरे-धीरे समय को 10-15 मिनट तक कर लें।
सांस उखड़े तो न करें प्राणायाम
प्राणायाम का समय सुबह छह बजे से पहले का है। पद्मासन, सिद्धासन अथवा सुखासन में बैठकर ही करें। हर प्राणायाम के बाद एक-दो गहरे लंबे सांस भरकर धीरे-धीरे छोड़ें और सांस को विश्राम दें। सांस उखड़े तो प्राणायाम न करें। बीमारी है तो विशेषज्ञ की सलाह से ही प्राणायाम करें। हृदय रोग, पेट की सर्जरी, अल्सर रोगी और गर्भवती महिला प्राणायाम न करें। पीरियड्स में कपालभाति व भस्त्रिका प्राणायाम न करें।
इन आसनों से लाभ
भुजंगासन, उष्ट्रासन, गोमुखासन, सर्वांगसान, सेतुबंध आसन से भी एलर्जी व फेफड़ों के रोगों से बचाव होता है। योगासन में सांस रोकने की क्षमता शुरुआत में 25-30 सेकंड रखें लेकिन बाद में एक-सवा मिनट तक कर सकते हैं। आसन करते समय सांस पर ध्यान केंद्रित रखें।
Source Yoga: प्राणायाम किस तरह करें कि पूरा लाभ मिले
https://ift.tt/3vPKKKb
0 Comments