
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहा जाता है। इस साल यह तिथि 9 मार्च (मंगलवार) को है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एकादशी व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठतम होता है।
इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत करने से पूजा का तीन गुना फल मिलता है। कहा जाता है कि लंका विजय के लिए भगवान श्रीराम ने भी विजया एकादशी को समुद्र किनारे पूजा की थी।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से दुख—दारिद्रय दूर होकर सभी कार्यों में विजय प्राप्त होती है। और इस व्रत को करने वाला किसी काम में विफलता का मुंह नहीं देखता।
कहा जाता है कि फाल्गुन कृष्ण एकादशी के दिन ही भगवान राम लंका पर आक्रमण करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे थे। जब समुद्र ने राम को पार उतरने का मार्ग नहीं दिया तो उन्होंने समुद्र तट पर निवास करने वाले ऋषियों से उपाय पूछा।
तब ऋषियों ने आपस मे मंत्रणा के बाद कहा ' हे राम आप तो अनंत सागरों को पार करने वाले सर्वशक्तिमान हैं। फिर भी जब आपने पूछा ही है तो सुनिए, हम ऋषि-मुनि प्रत्येक काम को शुरु करने के पहले व्रत - अनुष्ठान करते हैं। आप भी फाल्गुन कृष्ण एकादशी का व्रत कीजिए। इस व्रत की विधि यह है कि...
दशमी तिथि को एम मिट्टी का बर्तन लेकर उस पवित्र जल से भरकर सतनाज पर स्थापित करें। उसके पास पीपल, आम,बड़ और गुलर के पत्ते रखें और मंगल दृश्यों को सजाएं। फिर उक बर्तन मे जौ भरकर उसे कलश पर स्थापित करें। जौ के बर्तन में श्री लक्ष्मी नारायण (विष्णु भगवान) कर प्रतिमा स्थापित करें और उनका पूजन करें।
इस तिथि को 24 घंटे भजन-कीर्तन करके व्यतीत करें। रात्रि जागरण के बाद प्रात:काल जल सहित कलश को सागर के निमित्त अर्पित कर दें। फिर द्वादशी के दिन अन्न से भरा घड़ा किसी ब्राह्मण को दान दें।
इस व्रत के प्रभाव से समुद्र आपको रास्ता दे देगा और लंका पर विजय भी प्राप्त होगी। बस उसी दिन से इस व्रत और एकादशर की पूजा का प्रचलन शुरू हो गया।
विजया एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि आरंभ- 08 मार्च 2021 दिन सोमवार दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त- 09 मार्च 2021 दिन मंगलवार दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर
विजया एकादशी पारणा मुहूर्त- 10 मार्च को 06:37:14 से 08:59:03 तक।
अवधि- 2 घंटे 21 मिनट
एकादशी के नियम : इन बातों का रखें खास ध्यान...
1. एकादशी के दिन सुबह जल्द उठना चाहिए और शाम के समय सोना नहीं चाहिए।
2. एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करके एकादशी व्रत का संकल्प लें।
3. उसके बाद घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर 7 धान (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें।
4. वेदी के ऊपर एक कलश की स्थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं।
5. अब वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर रखें।
6. इसके बाद भगवान विष्णु को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें।
7. फिर धूप-दीप से विष्णु की आरती उतारें।
8. इस दिन व्रती को भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए किसी भी व्यक्ति से बात करने के लिए कठोर शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन क्रोध और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
9. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए व्रत के दौरान खान-पान और अपने व्यवहार में संयम के साथ सात्विकता भी बरतनी चाहिए।
10. शाम के समय भगवान विष्णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
11. अगले दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं और यथा-शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
12. इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।
13. एकादशी व्रत में रात को सोना नहीं चाहिए। व्रती को पूरी रात भगवान विष्णु की भाक्ति,मंत्र जप और जागरण करना चाहिए।
14. एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से व्यक्ति के वंश का नाश होता है।
15. एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी चोरी नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है कि इस दिन चोरी करने से 7 पीढ़ियों को उसका पाप लगता है।
Source विजया एकादशी 2021 : किस दिन रखना है व्रत और जानें शुभ मुहूर्त का समय
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